What is Core Web Vitals in Hindi | Core Web Vitals क्या है?

हेलो दोस्तों! आज इस लेख के माध्यम से हम कोर वेब वाइटल्स के बारे में विस्तार से जानेंगे। इसमें हम समझेंगे कि कोर वेब वाइटल्स क्या है, (What is Core Web Vitals in Hindi), Core Web Vitals का SEO में महत्व क्या है, कोर वेब वाइटल्स क्यों महत्वपूर्ण हैं, कोर वेब वाइटल्स कैसे सुधारें, कोर वेब वाइटल्स के मुख्य घटक क्या है, Core Web Vitals की रिपोर्ट कैसे देखें, Core Web Vitals Issue Fix कैसे करें, कोर वेब वाइटल्स को मापने के लिए टूल्स क्या है? अगर आप कोर वेब वाइटल्स के बारे में जानना चाहते है। तो यह लेख आपके लिए बहुत उपयोगी होगा। आइए कोर वेब वाइटल्स को विस्तार से समझते हैं!

Table of Contents

Core Web Vitals Kya Hai | What is Core Web Vitals in Hindi (कोर वेब वाइटल क्या है?)

कोर वेब वाइटल्स (Core Web Vitals) गूगल के Page Experience Update का एक मेट्रिक्स हैं। जिससे किसी भी वेबसाइट के प्रदर्शन को जांच सकते हैं। इसमें मुख्य रूप से तीन चीजों को मापते हैं। जैसे: वेब पेज की लोडिंग स्पीड, यूजर इंटरएक्शन और पेज का स्थिर दिखना। अगर कोई वेबसाइट जल्दी ओपन होती है। और वह मोबाइल फ्रेंडली हे या नहीं। तो यह यूजर के अनुभव को और बेहतर बनाता है। कोर वेब वाइटल्स का ध्यान रखना इसलिए जरूरी है। इससे गूगल रैंकिंग पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसलिए कोर वेब वाइटल्स SEO के लिए महत्वपूर्ण होता है।

Key Components of Core Web Vitals in Hindi | कोर वेब वाइटल्स के मुख्य घटक क्या है?

Google के Core Web Vitals वेबसाइट के प्रदर्शन और यूजर के अनुभव को मापने वाले महत्वपूर्ण संकेतक हैं। ये मुख्य रूप से तीन प्रमुख घटकों पर केंद्रित होता हैं।

  • LCP (Largest Contentful Paint)
  • FID (First Input Delay)
  • CLS (Cumulative Layout Shift)

1. Largest Contentful Paint (LCP)

LCP (Largest Contentful Paint) किसी भी वेबसाइट के सबसे बड़े और मुख्य कंटेंट के लोडिंग स्पीड को मापता है। यह यूजर को दिखाए जाने वाले सबसे बड़े तत्व (जैसे: इमेज, CTA, वीडियो या टेक्स्ट) के लोड होने बाले समय को बताता है।

✅ LCP का अच्छा स्कोर: 2.5 सेकंड या उससे कम होना चाहिए।
❌ खराब LCP स्कोर: 4 सेकंड या उससे अधिक होता है।

LCP को कम करने या सुधारने के तरीके:
  • अच्छी वेब होस्टिंग या सर्वर का यूज़ करे।
  • बड़े इमेज और वीडियो के साइज को ऑप्टिमाइज़ करें।
  • CSS और JavaScript फाइलों को शार्ट करें।
  • ब्राउज़र कैशिंग को इनेबल करें।

2. First Input Delay (FID)

FID (First Input Delay) यह मापता है। किसी यूजर द्वारा किसी लिंक, बटन, या अन्य इंटरएक्टिव एलिमेंट पर क्लिक करने के बाद वेबसाइट कितनी जल्दी ओपन होती है। यह वेबसाइट की तेजी और यूजर अनुभव को दर्शाता है।

✅ अच्छा FID स्कोर: 100 मिलीसेकंड से कम होना चाहिए।
❌ खराब FID स्कोर: 300 मिलीसेकंड से ज्यादा होता है।

FID सुधारने के मुख्य तरीके:
  • अनावश्यक और लॉन्ग JavaScript कोड को शार्ट करें।
  • CSS और स्क्रिप्ट्स को बेहतर और शार्ट बनाएं।
  • वेब वर्कर्स का यूज़ करें।
  • Lazy Loading तकनीक का यूज़ करे ।

3. Cumulative Layout Shift (CLS)

CLS (Cumulative Layout Shift) वेबसाइट के लोड होने के दौरान एलिमेंट्स (जैसे बटन, इमेज, टेक्स्ट) के अचानक शिफ्ट होने को मापता है। अगर यूजर किसी बटन पर क्लिक करना चाहता है। लेकिन वह अचानक से अपनी जगह बदल लेता है। यह यूजर को गलत एक्सपीरियंस देता है।

✅ अच्छा CLS स्कोर: 0.1 या इससे कम होना चाहिए।
❌ खराब CLS स्कोर: 0.25 या इससे ज्यादा होता है।

CLS सुधारने के मुख्य तरीके:
  • इमेज, वीडियो और एड्स के लिए एक निश्चित साइज (Width & Height) निर्धारित करें।
  • फ़ॉन्ट स्विचिंग से बचें।
  • अपनी वेबसाइट के लेआउट को स्थिर रखें।
  • एनिमेशन और डायनेमिक कंटेंट को सही तरीके से लोड करें।

Core Web Vitals क्यों ज़रूरी हैं?

Google के Core Web Vitals किसी भी वेबसाइट के प्रदर्शन और यूजर के अनुभव को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता हैं। इससे SEO में रैंकिंग प्रभावित होती है।

  • गूगल रैंकिंग में सुधार: बेहतर कोर वेब वाइटल्स का मतलब बेहतर SEO स्कोर होता है। इससे गूगल सर्च रिजल्ट् में टॉप रैंक ला सकते है।
  • तेज़ लोडिंग स्पीड: अगर कोई वेबसाइट तेजी से ओपन होती है। जिससे हमारी वेबसाइट का बाउंस रेट कम होता है।
  • बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव: यदि हमारी वेबसाइट तेज़ी से लोड होती है। यूजर के इनपुट पर जल्दी प्रतिक्रिया देती है, और स्थिर रहती है। इससे वेबसाइट का अनुभव सुगम बनता है और विज़िटर ज़्यादा समय बिताते हैं।
  • कन्वर्ज़न रेट बढ़ता है: तेज़ और स्थिर वेबसाइट यूजर को अधिक आकर्षित करती है।

इसलिए, किसी भी वेबसाइट के लिए Core Web Vitals को ऑप्टिमाइज़ करना बेहद जरूरी है।

Core Web Vitals का SEO में महत्व क्या है?

कोर वेब वाइटल्स (Core Web Vitals) के SEO में मुख्य महत्व यह हैं।

  • LCP : कम समय में लोड होने वाली वेबसाइटें SERP में आसानी से बेहतर रैंक करती हैं।
  • FID: यूजर के क्लिक करने पर जो वेब पेज जितनी तेज़ी से ओपन होती है। ऐसी वेबसाइट को यूजर ज्यादा पसंद करते हैं।
  • CLS: जिन वेबसाइट का लेआउट जितना स्थिर होता है। इन वेबसाइट को यूजर ज्यादा पसंद करते हैं।

बेहतर कोर वेब वाइटल्स का मुख्य मतलब है। SERP में टॉप रैंकिंग, वेबसाइट पर अधिक ट्रैफ़िक, और बेहतर यूजर एक्सपीरियंस।

कोर वेब वाइटल्स कैसे सुधारें?

कोर वेब वाइटल्स को सुधारने के लिए, आपको निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:

LCP में सुधार:

  • तेज़ और अपडेटेड होस्टिंग सर्वर का यूज़ करे।
  • अपनी वेबसाइट पर काम साइज की इमेज और वीडियो का यूज़ करे।
  • कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क और ब्राउज़र कैशिंग का यूज़ करें।
  • CSS और JavaScript कोड शार्ट रखे जिससे पेज तेजी से लोड हो।

FID में सुधार:

  • अपनी वेबसाइट पर JavaScript शॉर्ट कोड का यूज़ करे।
  • अपडेटेड और तेज़ होस्टिंग चुनें।
  • ब्राउज़र कैशिंग और Lazy Loading को इनेबल करें।

CLS में सुधार:

  • अपनी वेबसाइट पर इमेज और वीडियो के साइज़ को फिक्स करें।
  • वेबसाइट पर फॉन्ट्स और इमेज को सही से यूज़ करे जिससे वेबपेज लेआउट पर कोई असर न पढ़े।
  • एड्स को सही स्थान पर शिफ्ट करे जिससे वेबपेज लेआउट पर कोई असर न पढ़े।

Core Web Vitals की रिपोर्ट कैसे देखें?

Core Web Vitals की रिपोर्ट देखने के लिए हम Google Search Console टूल्स का यूज़ करे।

  • सबसे पहले Google Search Console में लॉगिन करें।
  • इसकेबाद “Experience” सेक्शन में “Core Web Vitals” विकल्प चुनें।
  • यहां डेस्कटॉप और मोबाइल के लिए अलग-अलग रिपोर्ट दिखेगी।
  • इसमें LCP (Largest Content full Paint), FID (First Input Delay), और CLS (Cumulative Layout Shift) जैसे मेट्रिक्स की सारी जानकारी मिलेगी।
  • यदि हमारी वेबसाइट पर कोई समस्या होगी। तो यहाँ हमको पता चलेगा हमें किस पेज में सुधार की आवश्यकता है।

कोर वेब वाइटल्स को मापने के लिए टॉप टूल्स

Core Web Vitals को मापने के लिए बहुत सारे टूल्स उपलब्ध हैं। जो हमारी वेबसाइट की परफॉर्मेंस, यूजर एक्सपीरियंस और SEO को बेहतर बनाने में सहायता करते हैं। Core Web Vitals को मापने के लिए टॉप टूल्स ये है।

  • Google Search Console
  • GTmetrix
  • WebPageTest
  • Google PageSpeed Insights
  • Google Lighthouse

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निष्कर्ष | Conclusion

दोस्तों, हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढ़कर आपको कोर वेब वाइटल्स की पूरी जानकारी मिल गई होगी। यदि आपके मन में इससे जुड़ा कोई सवाल है, तो कृपया कमेंट करके हमें बताएं। हम आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगे। ऐसे ही ज्ञानवर्धक लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। हम प्रतिदिन नई तकनीकों पर लेख लिखते रहते हैं। ताकि आपको अपडेटेड जानकारी मिलती रहे। हमारे लेख को पढ़ने के लिए आपका दिल से धन्यवाद!

FAQs:

Q1: Core Web Vitals क्या है?

Ans: Core Web Vitals गूगल द्वारा वेबसाइट के पेज अनुभव को मापने के लिए यूज़ किए जाने वाले एक सबसे महत्वपूर्ण मेट्रिक्स हैं। यह वेबसाइट की लोडिंग स्पीड, इंटरएक्टिविटी और विज़ुअल स्टेबिलिटी को मापते हैं।

Q2: Core Web Vitals के कौन-कौन से प्रमुख मेट्रिक्स हैं?

Ans:Core Web Vitals के प्रमुख मेट्रिक्स:

  • Largest Contentful Paint (LCP)
  • First Input Delay (FID)
  • Cumulative Layout Shift (CLS)
Q3: Core Web Vitals SEO के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

Ans: Core Web Vitals गूगल के रैंकिंग एल्गोरिदम का एक हिस्सा हैं। अगर हमारी वेबसाइट इन सभी मेट्रिक्स में सही प्रदर्शन करती है। तो इससे सर्च इंजन में हमारी वेबसाइट की रैंकिंग बेहतर हो सकती है।

Q4: Core Web Vitals को कैसे चेक कर सकते हैं?

Ans: Core Web Vitals को चेक करने के लिए टॉप टूल्स:

  • Google Search Console
  • GTmetrix
  • Google PageSpeed Insights
  • Lighthouse Tool
  • Chrome DevTools
Q5: Core Web Vitals अपडेट कब लागू हुआ?

Ans: Core Web Vitals को गूगल ने जून 2021 में अपने सर्च एल्गोरिदम अपडेट में ऐड किया था।

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